“सरकारी नौकरी” कहानी ऐसी लालच से भरी जैसी”
आप सभी प्रिय पाठकों का हमारी वेबसाइट के इस पेज़ में हार्दिक स्वागत है। आज मैं आपके समक्ष एक ऐसी कहानी लेकर आई हूँ। जिसमें एक औरत लालच मे कुछ इस क़दर अंधी हो जाती है। कि उसे पैसों के आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता। और अपनी इसी लालच की वज़ह से वह अपना बुढ़ापा बिगाड़ बैठती है।
अस्वीकरण: आप सभी की जानकारी के लिए बता दूँ। कि यह कहानीं और इसके सभी पात्र पूर्णतया काल्पनिक है। तथा इस कहानी का एवं इसके पात्रों का किसी भी व्यक्ति विशेष या किसी के निजी जीवन से कोई लेना – देना नहीं है। और यह कहानीं स्वयं मेरे द्वारा लिखित है। इसमें मेरे सिवाए अन्य किसी दूसरे की भगीदारी नहीं है। यह कहानी सिर्फ़ और सिर्फ़ पाठकों के मनोरंजन हेतु प्रस्तुत की गई है।
सरकारी नौकरी – भाग -1
घर का हॉल सन्नाटे से भरा हुआ था। सामने की दीवार से सटे हुए दीवान पर सुरेश जी पसीनें मे लथपथ बेहोशी की हालत में पड़े हुए थे। उनकी पत्नी सरोज देवी उनके पैरों के तलवों को अपनी हथेली से लगातार ज़ोर ज़ोर से रगड़े जा रही थी। और उनकी छोटी बेटी दीपा अपने पापा के सर पर हाथ फेरकर बस यही कहते हुए रोये जा रही थी। उठो न पापा क्या हुआ आपको ? इतने मे उनका बेटा राजीव डॉक्टर को लेकर आता है। डॉक्टर साहब मरीज़ की नब्ज़ टटोलते हुए कहते हैं – – – – – “ये सब कैसे हुआ” ?
सरोज जी बोली – – – – – “क्या बताऊँ डॉक्टर साहब सुबह तो एकदम भले चंगे उठे हर रोज़ की तरहं थोड़ी बहुत कसरत करने के बाद जैसे ही नहाने के लिए जाने लगे। बस न जाने क्या हुआ धड़ाम से जमीन पर गिर पड़े। और अचानक से इनका पूरा शरीर थर-थर कांपने लगा।
डॉक्टर साहब चेकअप करने के बाद बोले – – – – – “लगता है। लकवे का माइनर अटैक आया है। मैने इन्हें इंजेक्शन भी दे दिया है। जिससे कि इन्हें कुछ देर मे होश आ जायेगा। और हाँ ये कुछ दवाईयाँ भी लिख रहा हूँ। टाइम टाइम पर देते रहिएगा। और हाँ ध्यान रहे कि इन्हें थोड़ा भारी भरकम वज़न उठाने की मनाही है”। फिर भी तसल्ली के लिए कुछ टेस्ट करा लीजिए । और हाँ दो तीन दिन रेस्ट कर लेंगे तो ठीक रहेगा। बस आगे के लिए थोड़ा सतर्क़ रहने की ज़रूरत है। वैसे तो डरने की कोई बात नहीं है। मैं आपको एक्ससरसाइज़ के कुछ इज़ी स्टेपस बता दूंगा सो आप इनको हर रोज़ नियम से करवाते रहना। इससे इनके मुँह मे जो हल्का सा टेढ़ापन आया है। शायद वो काफ़ी हद तक ठीक हो सके”।
सरोज जी डॉक्टर साहब को धन्यवाद कहते हुए बोली – – – – – “जी डॉक्टर साहब हम आपकी बताई हुई सभी बातों का ख़्याल रखेंगे। बस ये जल्दी से ठीक हो जाएं”। राजीव अपनी माँ कांता जी से बोला – – – – – “माँ में डॉक्टर साहब को ज़रा बाहर तक छोड़ कर आता हूँ। और आते वक़्त पापा की दवाईयाँ भी लेकर आता हूँ”।
इतने में कुछ ही देर बाद उनकी बड़ी बेटी पूनम का भी फ़ोन आ गया। और वो फ़ोन पर रोते हुए कहने लगी। “माँ छोटी का फ़ोन आया था। बताओ न क्या हुआ है ?पापा को? मैं बस रास्ते में ही हूँ। आप अपने आप को संभालो में बस एक आध घंटे में पहुँच जाऊँगी”।
सरोज जी अपनी बेटी को समझते हुए बोली – अरे बेकार क्यों तकलीफ़ करती हो ? तुम्हारे पापा अब ठीक हैं। घबराने वाली कोई बात नहीं हैं ? तुम अपने पति और बच्चों का ख़्याल रखो। यहाँ हम है। उनका ख़्याल रखने के लिए।
पूनम नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बोली -माँ आप ये कैसी बात कर रही हो ? पापा है, वो मेरे ? आ रही हूँ मैं।
फ़िर सरोज जी अपनी छोटी बेटी दीपा को फ़टकारते हुए बोली- – – – – थोड़ा सब्र नहीं होता तुम्हें ? ख़ामख़ा दीदी को फ़ोन लगा दी उसका भी अपना घर परिवार है। घबरा गई बेचारी”।
अचानक से फ़िर से फ़ोन की घंटी बजी। सरोज जी दीपा को घूरते हुए बोली और किस किस को बताया तूने?” दीपा बड़ी मासूमियत से बोली – – – – “चंदा मौसी को”। मोबाईल पर अपनी बहन का नम्बर देखकर सरोज जी बोली- ले तेरी मौसी का ही फ़ोन है। अब ये चुप रहने का नाम न लेगी ” !
यूं तो सरोज जी एक बड़बोली और तुनक मिज़ाज़ की महिला थी। पर उनकी बहन चंदा के तो क्या ही कहने वो तो सरोज जी से दो हाथ आगे थी। एक बार अपनी हाँकने लगती तो मजाल की कोई उन्हें चुप करा सके !!
और जैसे ही सरोज जी ने फ़ोन उठाया वैसे ही उनकी बहन दहाड़े मारकर रोते हुए बोली – – – – – “हाय जीजी ये क्या हो गया। छोटी बता रही थी। कि जीजा जी को लकवा मार गया। अब कैसे है? जीजा जी,? ख्याल रखना उनका, टाइम मिलते ही आती हूँ”। सरोज जी बोली – – – – – “अरे नहीं फ़िक्र मत कर अब वें ठीक हैं”।
चंदा मौसी भला कहाँ किसी की सुने वो तो बस नॉन स्टॉप बोले ही जा रहीं थी।
चंदा मौसी अपनी बात ज़ारी रख़ते हुए लगातार बोलती जा रही थी – – – – – “हाय जीजी वक़्त का कोई भरोसा नहीं कब किस पर कौन सी मुसीबत आन पड़े। अब हमारे जीजा को ही देख लो इतना अच्छा ख़ासा चलता फ़िरता इंसान आज बिस्तर पर पड़ा है। हाय जीजी। सच मे सोच कर बड़ा बड़ा दुःख होता है”।
सरोज जी बोली – – – – – – “अरे तू , यूँ ही बेकार की चिंता किए जा रही है। ऐसी कोई बात नहीं है” ? पर चंदा मौसी भला कहाँ चुप रहती। वे अपनी बात ज़ारी रखते हुए बोली- – – – – “आय-हाय जीजी ये कैसी बात कर रही हो, चिंता कैसे न करूँ ? सुना है। कि कई दिन लग जाते हैं। इस बिमारी को ठीक होते होते। मेरा तो सोचकर ही दिल घबरा रहा है। जाने वहाँ तुम्हारा क्या हाल होगा” ?
सरोज जी फ़िर से अपनी बहन को समझाने की कोशिश ककरते हुए बोली – – – – – “अरी चंदा ज़रा थम जा, ज़रा सांस तो ले ले और मेरी बात सुन”।
अब भला चंदा मौसी अपनी बात पूरी करे बग़ैर भला किसकी सुनती वे सरोज जी को उल्टा ज़वाब देते हुए बोली – – – – – – – “अरे जीजी अब सुनोगी तो तुम मेरी वो भी कान खोलकर और बड़े ध्यान से – – – – – -“देखो जीजी अभी लोहा गरम है। हथौड़ा मार दो”। सरोज जी अपनी बहन पर खीझते हुए बोली- – – – – “अरे चंदा ये तू क्या कहे जा रही है ? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ? मेरी बात तो सुनती नहीं है ? कब से अपनी ही चलाये जा रही है। डॉक्टर ने कहा है। कि तेरे जीजा जी कुछ ही दिनों में बिलकुल ठीक हो जाएंगे”।
चंदा मौसी सरोज जी से बोली – – – – – “अरे जीजी बड़ी भोली हो, तुम्हे क्या पता, ये डॉक्टर तो यूं ही तसल्ली देते हैं। अब हमारे पड़ोसी मिश्रा जी को ही ले लो। अभी तीन साल पहले ही पहली बार दिल का दौरा पड़ा था। कुछ दिनों तक इलाज़ चला। वे चलने फ़िरने भी लगे थे । पर फिर कुछ दिनों बाद उन्हें ऑफिस आने जाने में दिक़्क़त होने लगी। ऑफिस से तनख़ा आती रही। और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। अब रिटायरमेंट के ठीक दो महीने बाद ही उनका देहांत हो गया”। अब आज वे सभी यही सोच सोच पछता रहे हैं। कि आना जाना तो लगा ही हुआ है। पर यदि समय रहते कोशिश करते तो शायद उनकी जगह उनके बेटे को नौकरी मिल जाती। बेचारा आज छोटी मोटी प्राइवेट नौकरी कर रहा है”।
चंदा मौसी अपनी बात ज़ारी रखते हुए बोली – – – – – “देखो जीजी बुरा मत मानना हाय बिचारे मेरे जीजा जी सौ साल जिए। पर जीजी तुम मिश्राइन की तरहं गलती मत करना। देखो अभी राजीव बेरोज़गार है। और शायद जहाँ तक मुझे पता है। जीजा जी की नौकरी के यही कुछ दो तीन साल ही बाकी होंगे । दो साल बाद रिटायर हो जायँगे। और तुम तो जानती ही हो आजकल सरकारी नौकरी की कितनी मारामारी हैं”।
सरोज जी बोली – – – – – “मैं कुछ समझी नहीं” चंदा मौसी बोली – – – – -“मेरी मानो तो अभी लोहा गरम है। हथौड़ा मार दो। जीजा जी की जगहं राजीव को चिपकाने की सोचो। सरोज जी मन ही मन सोचने लगी। कि हाँ, ये कह तो ठीक रही है। सामने से चंदा मौसी की आवाज़ आई “जीजी सुन रही हो न तुम”? सरोज जी चौंक कर बोली हाँ हाँ सुन रही हूँ। पर क्या ऐसा हो सकता है ? चंदा मौसी बोली – – – – – “क्यों नहीं कोशिश तो करके देखो”?? इतने में पीछे से राजीव की आवाज़ आई – – – – – “माँ मैं पापा की दवाईयाँ ले आया हूँ। आप देख लो”। सरोज जी अपनी बहन से फ़ोन पर विदा लेते हुए बोली – – – – – “चल चंदा अब मे फ़ोन रखती हूँ। राजीव तेरे जीजा जी की दवाइयाँ ले आया है। मैं तुझसे बाद में बात करती हूँ”।
सरोज जी दवाइयाँ देख ही रही थी कि तभीअचानक से सुरेश जी को होश आया, और वे बड़बड़ाते हुए बोले – – – – – ” क्या टाइम हुआ है”? सरोज बोली- – – – – – अरे आप लेटे रहिए। आपको डॉक्टर ने आराम करनें के लिए कहा है। सुरेश जी अचंभित होते हुए बोले – – – – -डॉक्टर, आराम क्या हुआ था मुझे ? क्या हुआ मेरी तबियत को और मुझे ऐसा क्योँ लग रहा है? कि जैसे बोलते हुए मेरी आवाज़ लड़खड़ा रही है?
“सरोज जी बोली – – – – – “वो आज सुबह आप अचानक से गिर पड़े थे। तो डॉक्टर बोले की लकवे का माइनर अटैक आया है। बस आपको आराम करना है”।
इतने में सरोज जी की बड़ी बेटी पूनम भी आ पहुँची। और आते ही अपने पिता से लिपट कर रोतेहुए बोली – – – – – “क्या पापा आप अपना ज़रा भी ख़्याल नहीं रख़ते। अगर आपको कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता” ? सरोज जी पूनम को पुचकारते हुए बोली – – – – – “चिंता मत करो बिटिया पापा एकदम ठीक हैं। तुमनें बेकार ही आने की तकलीफ की इतने छोटे बच्चे को लेकर अकेले चली आई। दामाद जी भी शहर से बाहर हैं”।
अगली सुबह सुरेश जी जब सोकर उठे तो काफी अच्छा फ़ील करने लगे। और अपनी पत्नी सरोज जी को आवाज़ देते हुए कहने लगे – – – – – “अरे सुनती हो ज़रा एक कप कड़क चाय पिला दो। आज तो मैं बहुत अच्छा फ़ील कर रहा हूँ। लगता है। कि शायद कल से ऑफिस भी जाने लगूं”।
सरोज जी बड़बड़ाते हुए आई। और बोली – – – – -“क्या है ? क्यों सारा घर पर उठा रखा है ? और ये क्या चाय-चाय की रट लगा कर राखी है? पता है, न कि आपकी तबियत खराब है। काढ़ा बनाया हुआ है। आपके लिए। आपको बस वही मिलेगा”।
सुरेश जी अपनी पत्नी को समझते हुए बोले – – – – -” देखो सरोज जब में कहा रहा हूँ की मेरी तबियत बिलकुल ठीक है। तो तुम मेरा यकीन क्यों नहीं करती हो ? सरोज जी तुनककर बोली – – – – – “जाओ नहीं करते हम तुम्हारी बात का यकीन। हमे पता है। कि कल तुम्हे कैसा अटैक पड़ा था। डॉक्टर ने बेड रेस्ट बोला है, आपको”।
सुरेश जी बोले – – – – -“अब ये क्या नौटंकी है ? देखो मैं एकदम ठीक हूँ। तुम समझती क्यों नहीं हो ? और कोई लकवा नहीं मारा है ? हमें, बस थोड़ा सा चक्कर ही तो आया था। मैं एकदम ठीक हूँ। तुम समझती क्यों नहीं हो” ?
सरोज जी बोली – – – – – “अरे बाबा चुप करो। कुछ नहीं पता तुम्हे। चुप करके बैठो मे तुम्हारे लिए काढ़ा लेकर आती हूँ। बात करते है। बस चक्कर ही आया था”। सरोज बड़बड़ाते हुए रसोई की और बढ़ने लगी। और सुरेश जी भी पीछे-पीछे रसोई मे आ गए। और सरोज पर भड़कते हुए बोले – – – – -“कैसी औरत हो तुम। मैं तुमसे चाय मांग रहा हूँ। और तुम हो कि कब से काढ़ा-काढ़ा की रट लगाए जा रही हो” ? कुछ नहीं हुआ है? मुझे, और मैं बिलकुल ठीक हूँ”।
सरोज अपने पति के आगे हाथ जोड़ते हुए बोली – – – – – “देखो जी आज मेरे आगे तो बोल दिया कि आप बिलकुल ठीक हो। अब आगे से गलती से भी किसी और के सामने मत कहा देना। और मेरी मानो तो तुम कुछ दिनों तक बोलना ही नहीं बस इशारों में ही बात करना। आदत डाल लो इन सबकी। और हाँ हो सके तो अपने शरीर को भी ढीला छोड़ने की आदत डाल ही लो, बस दुनियां के सामने”।
आख़िरकार सरोज के मन में क्या चल रहा था ?? कहीं वह अपनी बहन चंदा की बातों गंभीरता से तो नहीं ले रही थी ?? सुरेश जी पर अपनी पत्नी की बातों का क्या असर पड़ेगा ?? आगे की कहानी जानने के लिए हमसे जुड़े रहे। और कहानी का अगला भाग अवश्य पढ़े।
सरकारी नौकरी– भाग – 2
अपनी पत्नी के मुख से ऐसी अजीब सी बाते सुनकर सुरेश जी बौख़लाते हुए बोले – – – – – – “अरि भागवान तबियत तो मेरी ख़राब हुई है। पर लगता है। इसका ज़्यादा असर तुझ पर हुआ है। तभी तो ऐसी बहकी-बहकी सी बातें कर रही हो”?
सरोज अपने पति को आराम से सामने रखी कुर्सी पर बिठाते हुए बोली – – – – – – अरे बाबा आपके लिए इतना गुस्सा ठीक नहीं चलो बैठो यहाँ। और मेरी बात को आराम से सुनना और उस पर ग़ौर भी करना”। सुरेश जी गहरी सांस लेते हुए बोले – – – – – चल सुना सुबह से तेरी ही तो सुन रहा हूँ”।
सरोज अपने पति को समझते हुए बोली – – – – – अच्छा ये बताओ आपकी नौकरी को अब और कितने साल बचे हैं। सुरेश जी बोले पुरे दो साल बचे हैं। और कुछ ?
सरोज बोली – – – – – “पुरे नहीं बस दो साल ही बचे हैं। और बेटा अभी तक बेरोज़गार है” ?
सुरेश जी सरोज को ज़वाब देते हुए बोले – – – – – – “अरि भागवान आज तू पहेली खेलने के मूड़ में है, क्या ? देख मेरी तबियत इतनी ख़राब नहीं है ? जितनी कि तू ये पहेलियाँ बुझाकर मुझे और बीमार किये जा रही है”।
सरोज अपने पति को समझते हुए बोली – – – – – – “तो ठीक है। मैं तुम्हे साफ़ शब्दों मे समझाती हूँ। , देखो अब तुम्हारी नौकरी को कुछ ही समय बाकी है। और आज तुम गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। इसे भगवान् का ही इशारा मानो और तुम अपनी इस बिमारी को गंभीरता से ज़ारी रखो। और ये कोशिश करो की आपकी जगहं पर हमारे बेटे राजीव को नौकरी मिल जाये। फ़िर तो मजे ही मजे तुम्हारी पेंसन भी आएगी और राजीव की तन्खा भी क्यों है? न पते की बात” !
सरला की इस बात पर सुरेश जी गुस्साते हुए बोले – – – – -“दिमाग़ ख़राब हो गया है? क्या तुम्हारा। आज क्या भांग- वांग पीकर आई हो ? अजीब औरत है? क्या मे तुम्हें भला चंगा अच्छा नहीं लगता” ?
सरोज सुरेश जी से माफ़ी मांगते हुए बोली – – – – – “ए जी मुझे माफ़ करना जो मैंने तुम्हारा दिल दुखाया हो। पर आप मेरी बात का गलत मतलब निकाल रहे हो। मुझे पता है। कि आप स्वस्थ हो। ये बात आप मैं और हमारे बच्चे जानते हैं। और किसी को थोड़े ही न पता है”।
सुरेश जी बोले – – – – – – “क्या मतलब मैं कुछ समझा नहीं” ? सरोज ज़वाब में बोली – “मतब ये है। कि तुम तो बस खाओ पियो और आराम से बिमारी का नाटक करो। दो साल बाद तो घर में बैठना ही है। तो अभी से क्यों नहीं ? ऑफिस में ये बता देंगे कि आपका इलाज़ काफ़ी लम्बा चलेगा। आप ऑफिस नहीं जा पाएंगे। आपके बदले आपके बेटे को नौकरी दे दे”।
सुरेश जी गंभीर होकर बोले – – – – – – “ये सब इतना आसान नहीं है। जितना तुम समझ रही हो। वे लोग डॉक्टरी जांच वग़ैरह सब माँगते है”।
इस पर सरोज जी फुल कॉन्फिडेंस साथ बोली – – – – – – “वो सब आप हम पर छोड़ दो राजीव और मैं, हम दोनों संभल लेंगे। राजीव की पहचान का एक डॉक्टर है। वो नक़ली रिपोर्ट बनाने में माहिर है। आप तो बस बीमारी का नाटक करो। कोई मिलने जुलने वाले आए। तो बस इशारो में बात करना”।
पहले तो सुरेश जी को ये सब अजीब लगा। पर बाद में कुछ देर तक सोचने के बाद उन्हें अपनी पत्नी की बात सही लगी। और वे अपनी पत्नी से बोले – – – – – “वैसे कह तो तुम ठीक रही हो”। पर देखो ज़रा संभालकर सरकारी मामला है। कहीं लेने के देने न पड़ जाएं”।
सरोज बोली – – – – – – “आप यूँ हीं ख़ामख़ा डर रहें हैं। यकीन मानो कोई गड़बड़ नहीं होगी। और सब अच्छा होगा”।
अगले दिन सुरेश जी के ऑफिस से कुछ लोग सुरेश जी का हाल – चाल जानने के लिए उनके घर पहुंचे।
सरोज जी ने सुरेश जी को पहले ही सचेत के दिया था। कि उनके दफ़्तर से कुछ लोग आ रहे हैं। तो थोड़ा सावधान रहना।
पर सुरेश जी ने तो कमाल कर दिया! क्या गज़ब की एक्टिंग की ! वे तो अपना मुँह टेढ़ा कर एकदम से गुमसुम लाचार से गूंगे बने पड़े रहे। सभी लोग अफ़सोस जताते हुए बोले – – – – – “अरे वाकई मे सुरेश जी के साथ बहुत बुरा हुआ। उन्होंने राजीव से पूछा। डॉक्टर क्या कहते है”?
राजीव उदास होते हुए बोला – – – – – “डॉक्टर कहते हैं। कि पापा को लकवे का अटैक पड़ा है। अभी इतनी ज़ल्दी रिकवरी संभव नहीं है। हो सकता है। इलाज़ काफी लंबा चले”। राजीव अपने मगरमछ के आंसू पौंछते हुए बोला – “डर लगता है। कि पापा कभी बोल भी पाएंगे या नहीं”।
सभी कर्मचारी राजीव राजीव को धीरज बंधाते हुए बोले – – – – – – “अरे नहीं बेटा ऐसे हिम्मत नहीं हारते देखना सुरेश जी ज़ल्द ही अच्छे हो जाएंगे”।
फ़िर सभी लोगो ने विदा ली। और चले गए। राजीव उन्हें छोड़कर जैसे ही घर के अंदर पहुँचा। तो अपनें पापा के गले लगते हुए बोला – – – – – “अरे वाह पापा मान गए। क्या एक्टिंग की है! आपने, सरोज भी बोल पड़ी – – – – – “हाँ बेटा ये बात तो तूने बिलकुल सही बोली”।
सुरेश जी बोले – – – – – “ठीक है। ठीक है। चल अब एक कप चाय पिला दे। राजीव ख़ुश होते हुए बोला – – – – – अभी लो पापा चाय के साथ गर्मागरम समोसे भी ले आता हूँ। और राजीव दौड़ कर रसोई में गया और सुरेश जी और सरोज के लिए के लिए चाय समोसे ले आया। सुरेश जी बोले वहाँ टेबल पर रख दे कुर्सी पर बैठकर पिऊंगा। दो -तीन घंटे लेटे-लेटे जैसे शरीर अकड़ गया है”।
राजीव टेबल पर चाय की ट्रे ऱख कर जाने लगा। तो पीछे से सुरेश जी बोले – – – – – – “अरे सुन जाते जाते दरवाज़ा बंद करते जाना। किसी बाहर वाले ने देख लिया तो लेने के देने पड़ जायेंगे”।
राजीव ने बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया। और फ़िर सरोज और सुरेश जी ने चाय समोसों का आनंद लिया। बस अब हर रोज़ ऐसे ही मिलने मिलाने वाले आते रहते। और हर दिन यही नाटक चलता रहता।
बस इसी तरहं दिन हफ़्ते गुज़रते-गुज़रते पूरा महीना गुज़र गया।
तो क्या सरोज जी मिशन सरकारी नौकरी मे क़ामयाब हो पायेगी ?? क्या राजीव को उसके पिता की जगहं नौकरी मिल पायेगी ?? या फ़िर सुरेश जी की झूठी बीमारी पर से पर्दा उठ जायेगा ?? आगे की कहानी जानने के लिए हमसे जुड़े रहे। और कहानी का अगला भाग अवश्य पढ़े।